Author: admin

विजयदान देथा के निधन पर कई अखबारों में लेख, सम्पादकीय आये. आज सुबह दो अखबारों में सम्पादकीय पढ़ा- \’दैनिक हिन्दुस्तान\’ और \’जनसत्ता\’ में. \’जनसत्ता\’ का यह सम्पादकीय ख़ास लगा. कितने कम शब्दों में उनके बारे में कितना कुछ कह जाती है. जिन्होंने न पढ़ा हो उनके लिए- प्रभात रंजन.=========भारतीय साहित्य की दुनिया में जब भी किसी रचनाकार और उसकी रचनाओं के बाकियों से खास होने की बात चलेगी, वे सबसे महत्त्वपूर्ण शख्सियतों में शुमार किए जाएंगे। बिज्जी यानी विजयदान देथा ने हिंदी में अपने लिए जो सम्मान अर्जित किया, निश्चित रूप से वह बरास्ते राजस्थानी है। लेकिन यही उनकी अहमियत…

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विजयदान देथा के निधन पर कई अखबारों में लेख, सम्पादकीय आये. आज सुबह दो अखबारों में सम्पादकीय पढ़ा- \’दैनिक हिन्दुस्तान\’ और \’जनसत्ता\’ में. \’जनसत्ता\’ का यह सम्पादकीय ख़ास लगा. कितने कम शब्दों में उनके बारे में कितना कुछ कह जाती है. जिन्होंने न पढ़ा हो उनके लिए- प्रभात रंजन.=========भारतीय साहित्य की दुनिया में जब भी किसी रचनाकार और उसकी रचनाओं के बाकियों से खास होने की बात चलेगी, वे सबसे महत्त्वपूर्ण शख्सियतों में शुमार किए जाएंगे। बिज्जी यानी विजयदान देथा ने हिंदी में अपने लिए जो सम्मान अर्जित किया, निश्चित रूप से वह बरास्ते राजस्थानी है। लेकिन यही उनकी अहमियत…

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महेश वर्मा की ताजा कविताएँ यहाँ प्रस्तुत हैं. हिंदी के इस शानदार कवि की कविताओं से अपनी तो संवेदना का तार जुड़ गया. पढ़कर देखिये कहीं न कहीं आपका भी जुड़ेगा- प्रभात रंजन ==========================================================पिता बारिश में आएंगेरात में जब बारिश हो रही होगी वे आएंगेटार्च से छप्पर के टपकने की जगहों को देखेगें औरअपनी छड़ी से खपरैल को हिलाकर थोड़ी देर कोटपकना रोक देंगेओरी से गिरते पानी के नीचे बर्तन रखने को हम अपने बचपन में दौड़ पड़ेंगेपुराना घर तोड़कर लेकिन पक्की छत बनाई जा चुकी हमारे बच्चे खपरैल की बनावट भूल जायेंगेपिता को मालूम होगी एक एक शहतीर की उम्रवे चुपचाप…

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महेश वर्मा की ताजा कविताएँ यहाँ प्रस्तुत हैं. हिंदी के इस शानदार कवि की कविताओं से अपनी तो संवेदना का तार जुड़ गया. पढ़कर देखिये कहीं न कहीं आपका भी जुड़ेगा- प्रभात रंजन ==========================================================पिता बारिश में आएंगेरात में जब बारिश हो रही होगी वे आएंगेटार्च से छप्पर के टपकने की जगहों को देखेगें औरअपनी छड़ी से खपरैल को हिलाकर थोड़ी देर कोटपकना रोक देंगेओरी से गिरते पानी के नीचे बर्तन रखने को हम अपने बचपन में दौड़ पड़ेंगेपुराना घर तोड़कर लेकिन पक्की छत बनाई जा चुकी हमारे बच्चे खपरैल की बनावट भूल जायेंगेपिता को मालूम होगी एक एक शहतीर की उम्रवे चुपचाप…

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युवा लेखक प्रचंड प्रवीर को हम \’अल्पाहारी गृहत्यागी\’ के प्रतिभाशाली उपन्यासकार के रूप में जानते हैं. लेकिन कविताओं की भी न केवल वे गहरी समझ रखते हैं बल्कि अच्छी कविताएँ लिखते भी हैं. एक तरह का लिरिसिज्म है उनमें जो समकालीन कविता में मिसिंग है. चार कविताएँ- जानकी पुल. ===========================================================    कलकत्ता पीपल का पत्ता, काला कुकुरमुत्ता, निशा, जायेंगे हम गाड़ी से कलकत्ता आसिन की बरखा, कातिक में बरसा, निशा, आओगी तुम? पूना से कलकत्ता आरती की थाली, चंदन और रोली, निशा, देखोगी तुम? पूजा में कलकत्ता छोटा सा बच्चा खट्टा आम कच्चा, निशा, तुमको ढूँढेगा सारा शहर कलकत्ता छोटी ​सी​…

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युवा लेखक प्रचंड प्रवीर को हम \’अल्पाहारी गृहत्यागी\’ के प्रतिभाशाली उपन्यासकार के रूप में जानते हैं. लेकिन कविताओं की भी न केवल वे गहरी समझ रखते हैं बल्कि अच्छी कविताएँ लिखते भी हैं. एक तरह का लिरिसिज्म है उनमें जो समकालीन कविता में मिसिंग है. चार कविताएँ- जानकी पुल. ===========================================================    कलकत्ता पीपल का पत्ता, काला कुकुरमुत्ता, निशा, जायेंगे हम गाड़ी से कलकत्ता आसिन की बरखा, कातिक में बरसा, निशा, आओगी तुम? पूना से कलकत्ता आरती की थाली, चंदन और रोली, निशा, देखोगी तुम? पूजा में कलकत्ता छोटा सा बच्चा खट्टा आम कच्चा, निशा, तुमको ढूँढेगा सारा शहर कलकत्ता छोटी ​सी​…

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