Author: admin

स्वाति अर्जुन को हम एक सजग पत्रकार के रूप में जानते रहे हैं, वह एक संवेदनशील कवयित्री भी हैं इसका पता इन कविताओं को पढ़कर चला. घर-परिवार, आस-पड़ोस के प्रति संवेदनशील दृष्टि, भाषा के सहज प्रयोग, सहज जिज्ञासाएं, भावना और बुद्धि का संतुलन- स्वाति अर्जुन की कवितायेँ हमें पढने के लिए विवश करती हैं और बहुत कुछ सोचने के लिए भी. आप भी पढ़िए- मॉडरेटर.=====घरघर…मैं…घर, मैं और प्लंबर! घर…. कारपेंटर, मिस्त्री और हॉकर…गैस वाला, बिजली मिस्त्री… धोबी…कभी-कभी धोबन भी…सबसे अहम….कूड़े वाला !गृहस्थी…वैन ड्राईवर, ट्यूशन टीचर, आर्ट इंस्ट्रक्टर…सीटी बजाता रात-बिरात, चौकीदार..टूटी सीढ़ियों को चढ़ने लायक बनाता—ईंट-गारे वाला मिस्त्री…प्रॉपर्टी डीलर, सोसायटी इंचार्ज…कभी-कभी…

Read More

प्रियदर्शन की ये कविताएं प्रासंगिक भी हैं और बहुत कुछ सोचने को विवश भी करती हैं- \’जानवरों से हमें माफ़ी मांगनी चाहिए\’- जानकी पुल.=========================== जानवरों से हमें माफ़ी मांगनी चाहिएएकलोमड़ी चालाक होती है,सियार शैतानसांप ख़तरनाकबाघ डरावनागधा मूर्खघोड़ा तेज़और कुत्ता वफ़ादार,ये सब उस इंसान ने तय कर लिया जो कभी चालाक होता है, कभी शैतानकभी डरावना, कभी मूर्ख, और कभी-कभी तेज़ और वफ़ादार भी।वह एक ही साथ सांप भी हो जाता है और सियार भी जानवरों से हमें क्षमा मांगनी चाहिएउनके जंगल सभ्यताओं की तरह छलावों के घर नहीं रहेवे जो हैं, वे दिखते रहेउनके दांत, नाखून, रोएं, पंजे सब बिल्कुल सामने…

Read More

प्रियदर्शन की ये कविताएं प्रासंगिक भी हैं और बहुत कुछ सोचने को विवश भी करती हैं- \’जानवरों से हमें माफ़ी मांगनी चाहिए\’- जानकी पुल.=========================== जानवरों से हमें माफ़ी मांगनी चाहिएएकलोमड़ी चालाक होती है,सियार शैतानसांप ख़तरनाकबाघ डरावनागधा मूर्खघोड़ा तेज़और कुत्ता वफ़ादार,ये सब उस इंसान ने तय कर लिया जो कभी चालाक होता है, कभी शैतानकभी डरावना, कभी मूर्ख, और कभी-कभी तेज़ और वफ़ादार भी।वह एक ही साथ सांप भी हो जाता है और सियार भी जानवरों से हमें क्षमा मांगनी चाहिएउनके जंगल सभ्यताओं की तरह छलावों के घर नहीं रहेवे जो हैं, वे दिखते रहेउनके दांत, नाखून, रोएं, पंजे सब बिल्कुल सामने…

Read More

पेशे से प्राध्यापिका सुनीता एक संवेदनशील कवयित्री हैं. कुछ सोचती हुई, कुछ कहती हुई उनकी कविताओं का अपना मिजाज है. उनकी कुछ चुनी हुई कवितायेँ- जानकी पुल.================================================== जेहन जेहन के जहान में खोने-पाने के अतिरिक्त ‘दौलत की डिबिया’ जैसा कुछ है! हाँ, उत्तर-दक्खिन और पूरब-पश्चिम जैसा कुछ नहीं है।अगर कुछ है भी, तो उजाले का गीत, अँधेरे से लड़ाई,असमानता से भिडंत, और समय से सीधे-तीखे होड़! सजग< b>एक दुर्दांत शिखर पर बतौर प्रहरी देखती हूँ—(कई सारे काम के बीच समय निकालकर नीदों को तजकर)मिट्टी की खुशबू फूलों की महक महल-दो-महल के माहौल ख्यालों में गूँजते गोलियों की धुनदेखते-देखते दरख़्त में तब्दील होते…

Read More

पेशे से प्राध्यापिका सुनीता एक संवेदनशील कवयित्री हैं. कुछ सोचती हुई, कुछ कहती हुई उनकी कविताओं का अपना मिजाज है. उनकी कुछ चुनी हुई कवितायेँ- जानकी पुल.================================================== जेहन जेहन के जहान में खोने-पाने के अतिरिक्त ‘दौलत की डिबिया’ जैसा कुछ है! हाँ, उत्तर-दक्खिन और पूरब-पश्चिम जैसा कुछ नहीं है।अगर कुछ है भी, तो उजाले का गीत, अँधेरे से लड़ाई,असमानता से भिडंत, और समय से सीधे-तीखे होड़! सजग< b>एक दुर्दांत शिखर पर बतौर प्रहरी देखती हूँ—(कई सारे काम के बीच समय निकालकर नीदों को तजकर)मिट्टी की खुशबू फूलों की महक महल-दो-महल के माहौल ख्यालों में गूँजते गोलियों की धुनदेखते-देखते दरख़्त में तब्दील होते…

Read More

हाल में ही युवा लेखक दुष्यंत का कहानी संग्रह पेंगुइन से आया है \’जुलाई की एक रात\’. समकालीन जीवन के स्नैप शॉट्स की तरह कहानियां लिखने वाले इस प्रतिभाशाली लेखक की एक कहानी उसी संग्रह से- मॉडरेटर.========दिन के दो बजकर दस मिनट, लंच खत्म होने के तुरंत बाद का समय है। दफ्तर के ज्यादातर लोग लंच लेकर लौट चुके हैं। विकास सिगरेट पीने रुक गया है तो रीना लंच के बाद सेव का ज्यूस और वर्मा कॉफी के लिए, लगभग 15 मिनट लेंगे अभी और।’पल-पल दिल के पास तुम रहती हो।’गाना बजा, वह किशोर का हद दर्जे का दीवाना है, अपने मोबाइल की इस रिंगटोन के लिए…

Read More

हाल में ही युवा लेखक दुष्यंत का कहानी संग्रह पेंगुइन से आया है \’जुलाई की एक रात\’. समकालीन जीवन के स्नैप शॉट्स की तरह कहानियां लिखने वाले इस प्रतिभाशाली लेखक की एक कहानी उसी संग्रह से- मॉडरेटर.========दिन के दो बजकर दस मिनट, लंच खत्म होने के तुरंत बाद का समय है। दफ्तर के ज्यादातर लोग लंच लेकर लौट चुके हैं। विकास सिगरेट पीने रुक गया है तो रीना लंच के बाद सेव का ज्यूस और वर्मा कॉफी के लिए, लगभग 15 मिनट लेंगे अभी और।’पल-पल दिल के पास तुम रहती हो।’गाना बजा, वह किशोर का हद दर्जे का दीवाना है, अपने मोबाइल की इस रिंगटोन के लिए…

Read More

मारियो वर्गास योसा के उपन्यास \’बैड गर्ल\’ की नायिका पर यह छोटा-सा लेख मैंने \’बिंदिया\’ पत्रिका के लिए लिखा था. जिन्होंने नहीं पढ़ा है उनके लिए- प्रभात रंजन.===========================================करीब छह साल पहले मारियो वर्गास योसा का उपन्यास पढ़ा था ‘बैड गर्ल’. पेरू जैसे छोटे से लैटिन अमेरिकी देश के इस लेखक को कुछ साल पहले साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला. कहा जाता है कि गाब्रियल गार्सिया मार्केस के बाद लैटिन अमेरिका के जीवित लेखकों में योसा का नाम सबसे कद्दावर है. इस लेखक को जिन उपन्यासों के कारण महान बताया जाता है ‘बैड गर्ल’ की गिनती उन उपन्यासों में नहीं होती…

Read More

मारियो वर्गास योसा के उपन्यास \’बैड गर्ल\’ की नायिका पर यह छोटा-सा लेख मैंने \’बिंदिया\’ पत्रिका के लिए लिखा था. जिन्होंने नहीं पढ़ा है उनके लिए- प्रभात रंजन.===========================================करीब छह साल पहले मारियो वर्गास योसा का उपन्यास पढ़ा था ‘बैड गर्ल’. पेरू जैसे छोटे से लैटिन अमेरिकी देश के इस लेखक को कुछ साल पहले साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला. कहा जाता है कि गाब्रियल गार्सिया मार्केस के बाद लैटिन अमेरिका के जीवित लेखकों में योसा का नाम सबसे कद्दावर है. इस लेखक को जिन उपन्यासों के कारण महान बताया जाता है ‘बैड गर्ल’ की गिनती उन उपन्यासों में नहीं होती…

Read More

‘नक़्श’ लायलपुरी एक ऐसे शायर हैं जिन्होंने फिल्मों में भी कई अर्थपूर्ण गीत लिखे. आज उनकी कुछ चुनिन्दा ग़ज़लें- मॉडरेटर.===================1.तुझको सोचा तो खो गईं आँखेंदिल का आईना हो गईं आँखेंख़त का पढ़ना भी हो गया मुश्किलसारा काग़ज़ भिगो गईं आँखेंकितना गहरा है इश्क़ का दरियाउसकी तह में डुबो गईं आँखेंकोई जुगनू नहीं तसव्वुर काकितनी वीरान हो गईं आँखेंदो दिलों को नज़र के धागे सेइक लड़ी में पिरो गईं आँखेंरात कितनी उदास बैठी हैचाँद निकला तो सो गईं आँखें\’नक़्श\’ आबाद क्या हुए सपनेऔर बरबाद हो गईं आँखें2.वो आएगा दिल से दुआ तो करोनमाज़े-मुहब्बत अदा तो करोमिलेगा कोई बन के उनवान भीकहानी…

Read More