युवा लेखिका दिव्या विजय की कहानियाँ तो हम पढ़ते ही आये हैं। अक्सर ही उनकी कहानियाँ बिना किसी अतिरिक्त शोर के महत्त्वपूर्ण और ज़रूरी बातें कह देने में सफल होती रही हैं। आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर पढ़िए उनकी डायरी ‘दराज़ो में बन्द ज़िन्दगी’ का एक अंश, और सोचिए कि वास्तव में ज़मीनी स्तर पर महिलाओं के लिए कुछ बदला है या बदलने की सूरत नज़र आती है। यह किताब राजपाल एंड संस से प्रकाशित हुई है। – कुमारी रोहिणी ========================= कल तय हुआ था, सब सिनेमा देखने जाएँगे। मैं जल्दी उठकर तैयार हो गयी बाहर आयी तो…
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आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है। आज के दिन पढ़िए बहुचर्चित और लोकप्रिय लेखिका तसलीमा नसरीन का लेख ‘महिला दिवस’। बांग्ला से इस लेख का हिन्दी अनुवाद किया है जानेमाने अनुवादक और कवि उत्पल बनर्जी ने। तसलीमा नसरीन के लेखों का यह संग्रह दो खंडों में ‘स्त्री अधिकार और क़ानून’ नाम से राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित है।- कुमारी रोहिणी =============================================== महिला दिवस की सुबह कुछ फ़ोन आए। सभी ने कहा, ‘हैपी वीमन्स डे’। ठीक जिस तरह वे लोग कहते हैं ‘हैपी वैलेन्टाइंस डे’ या फिर ‘हैपी मदर्स डे’। वैलेन्टाइंस डे या मदर्स डे पर हैपीनेस या सुख की बात होती है।…
आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर पढ़िए कुमारी रोहिणी का यह लेख जो स्त्री और भाषा को लेकर है। कुमारी रोहिणी कोरियन भाषा की अध्येता हैं और कोरियन, हिन्दी तथा अंग्रेज़ी में नियमित रूप से लिखती हैं- मॉडरेटर ========================== महिलाओं की भाषा या भाषाओं में महिलाएँ, ये दोनों ही विचार ऐसे हैं जो अक्सर मुझे अपनी ओर खींचते रहते हैं। इसके दो कारण हो सकते हैं, एक तो यह कि मैं ख़ुद एक स्त्री हों और दूसरा यह कि स्त्री होने के साथ ही अपना काम भी भाषाओं के इर्द-गिर्द ही है। भाषा चाहे देशी हो, मातृ हो या विदेशी, तीनों…
आज पढ़िए युवा लेखिका अदिति भारद्वाज की कहानी। अदिति दिल्ली विश्वविद्यालय से शोध कर रही हैं, आलोचना के क्षेत्र में सक्रिय हैं और हाल में ही आलोचना पत्रिका में प्रेमचंद की कहानी ‘कफ़न’ पर उनका आलेख प्रकाशित हुआ जिसकी बहुत प्रशंसा हुई। आप यह कहानी पढ़िए- मॉडरेटर ============================= 1 घर से निकल जब गली में आती है तो रोज़ की वही कुछ चिर-परिचित झलकियां। पड़ोस में बन रही अट्टालिका में काम-करने वाले मज़दूर बीवी-बच्चों समेत आग के इर्द-गिर्द जमा उसे हसरत से देखते हुए। मानो आग तापने का न्योता। वह मुस्कुराती हुई आगे बढ़ती है। गाड़ियां साफ करता वह नौ-दस…
महिंद्रा एक्सीलेंस इन थिएटर अवार्ड्स (मेटा) और महोत्सव की घोषणा हो चुकी है। आइये विस्तार से जानते हैं- मॉडरेटर =================== • शांता गोखले को 20वां मेटा लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा जाएगा । • मेटा 2025 जूरी में कबीर बेदी, लिलेट दुबे, दादी पुदुमजी, के. नंदिनी सिंगला और सुधीर मिश्रा शामिल हैं । • नामांकित नाटक 13 मार्च, 2025 से 19 मार्च, 2025 तक दिल्ली में मेटा फेस्टिवल में कमानी और श्रीराम सेंटर में मंचित किए जाएंगे। नई दिल्ली: 20वें महिंद्रा एक्सीलेंस इन थिएटर अवार्ड्स (मेटा) और फेस्टिवल 2025 ने आज एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए बताया कि मेटा 2025 का…
प्रसिद्ध रॉक बैंड ‘बीटल्स के गायक पॉल मैककार्टनी ने जॉन लिनन कि साथ मिलकर ब्लैकबर्ड फ़्लाई गीत लिखा जो दक्षिण अमेरिकी देशों में अश्वेत नागरिकों के संघर्ष का प्रत्येक बन गया।अब मैककार्टनी के लिखे इस गीत को लगभग 56 साल बाद अफ़ीकन-अमेरिकन गायिका बियोन्से नोल्स ने फिर गाया है। बियोन्से का गाया यही गीत उनके नवीनतम हिट म्यूज़िक एलबम ‘काउबॉय कार्टर’ में शामिल है। बियोन्से के इसी एलबम को ‘कंट्री म्यूज़िक’ श्रेणी में ग्रैमी का ‘एलबम ऑफ द ईयर’ अवॉर्ड-2025 दिया गया है। इस एलबम के जरिए वे काले कलाकारों के योगदान को पुनर्स्थापित करती हैं जिन्हें विस्मृति के गर्त…
वाणी त्रिपाठी के स्तंभ जनहित में जारी सब पर भारी में आज पढ़िए तमिलनाडु में हो रहे हिन्दी विरोध की राजनीति और राष्ट्रीय शिक्षा नीति से जुड़े व्यावहारिक पहलुओं के बारे में- मॉडरेटर =========================== फरवरी 2025 में तमिलनाडु में हिंदी थोपने के खिलाफ फिर से विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। अयप्पक्कम हाउसिंग बोर्ड के निवासियों ने रंगोली (कोलम) के जरिए विरोध जताया, जिसमें संदेश लिखा था – “तमिल का स्वागत है, हिंदी थोपना बंद करो”। यह विरोध डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन की उस टिप्पणी के बाद हुआ, जिसमें उन्होंने चेतावनी दी थी कि हिंदी के बढ़ते प्रभाव से तमिल भाषा…
आज कृष्णा सोबती के लेखन पर यह सुचिंतित लेख पढ़िए। लिखा है अनुरंजनी ने। अनुरंजनी दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय में शोधार्थी हैं और जानकी पुल की संपादक हैं। कृष्णा सोबती के लेखक के अलग अलग पहलुओं को लेकर वह लिखती रही हैं। यह लेख उन्होंने रज़ा न्यास द्वारा आयोजित ‘युवा’ में पढ़ा था। इस बार का युवा कृष्णा सोबती के लेखन पर एकाग्र था। यह लेख पढ़िए और बताइए कि कृष्णा सोबती विराट विजन की लेखिका थीं या नहीं- प्रभात रंजन ============ ‘भारत का सोबती आख्यान’ इस शीर्षक के तहत यह समझने की कोशिश की गई है कि उनके लेखन…
आज पढ़िए वरिष्ठ लेखक उदयन वाजपेयी के कहानी संग्रह ‘पिराउद’ पर यह टिप्पणी। लिखा है कुमारी रोहिणी ने। रोहिणी कोरियन भाषा से पीएचडी हैं और कोरियन एवं हिन्दी साहित्य पर नियमित लेखन करती हैं। उदयन वाजपेयी की इस पुस्तक का प्रकाशन सेतु प्रकाशन से हुआ है। आप फ़िलहाल यह टिप्पणी पढ़िए- मॉडरेटर ======================== कहा जाता है ‘Do not judge a book by it’s cover’, लेकिन जहाँ तक मेरा मामला है मैं अक्सर ही किताबों के शीर्षक से आकर्षित, उत्सुक या दुखी होकर उन्हें पढ़ने का फ़ैसला करती हूँ या फिर छोड़ देती हूँ। इसी आदत के कारण, जो मालूम नहीं…
आज पढ़िए उज़्मा कलाम की कहानी ‘सिंगार’। उज़्मा के पास अपनी भाषा है, परिवेश पर पकड़ है और कहानी कहने की शैली है। जैसे यह कहानी- मॉडरेटर ======================= खेतो की पगडंडियों को पार करके, गाँव में घुसते ही बला की दहाड़ें मार-मार कर रोने की आवाज़ें सुनाई देने लगी। उफ़्फ़…!! एक दो नहीं झुन्ड का झुन्ड रोने में मशग़ूल था। किसी से पूछने की ज़रुरत ना थी। दूर से ही लुबान और अगरबत्ती की महक ने नाक पर हमला बोल दिया। यह मेरी नाक ने किसी भी तरह की मसनवी महक ना बर्दाश्त करने की क़सम खायी है। बस छींकना…