बच्चोँ के साहित्य का दायरा इतना तंग नहीँ होता कि वे बड़ोँ की चिन्ताएँ न समझ सके। श्रद्धा थवाईत की कहानी ‘असर’ 9 साल से बड़े बच्चोँ के लिए है। जानकीपुल पर अपनी टिप्पणी ज़रूर दर्ज करेँ- मॉडरेटर ******************** उस शाम रिया ऑफिस से थकी-हारी घर पहुँची। उसने पाया कि बैठक की खिड़की में, नेटलॉन की जाली और रॉड के बीच कुछ मोटे-मोटे तिनके जमा हैं। घर के आस-पास पड़की, कबूतर और गौरेया बहुत थे। जिस अनगढ़ तरीके से वे तिनके पड़े थे, यह किसी पड़की का ही काम हो सकता था। रिया उत्साहित हो उठी। कुछ पल जीवन में…
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यदि हमलोग इतने भी उदार होते कि ‘दूसरे’ धर्म की रीति अपनाने में कोई झिझक नहीं होती तब यह दुनिया निश्चित ही ज़्यादा सुंदर होती। बसंत पंचमी और अमीर ख़ुसरो से संबंधित कथा बहुत से लोग जानते होंगे, बहुत से नहीं भी जानते होंगे। आज उसी कथा की चर्चा कर रहे हैं पीयूष प्रिय। बसंत की शुभकामनाओं सहित – अनुरंजनी ========================== ‘बसंत पंचमी और अमीर ख़ुसरो का सकल बन’ कुंभ की चर्चा हर जगह है, हमारे गाँव में अभी एक और चर्चा और तैयारी जोर- सोर से चल रही होगी। यह बिहार के लगभग हरेक गाँव की तैयारी होगी जिसे…
हाल में ही अशोक वाजपेयी जी के साथ बातचीत की एक किताब आई है- परख। यह युवा कवयित्री, कथाकार पूनम अरोड़ा के साथ उनके संवाद की पुस्तक है। आइये पढ़ते हैं उसी बातचीत का एक अंश। पुस्तक का प्रकाशन सेतु प्रकाशन ने किया है- मॉडरेटर ========================== पूनम अरोड़ा: अस्सी के दशक में हिन्दी साहित्य-संसार में, आपका कई महत्त्वपूर्ण कवियों के साथ प्रवेश हुआ। उस प्रगतिशील, बौद्धिक और संवेदनशील समय की संश्लिष्ट समग्रता में आपकी काव्य-चेतना पर मुक्तिबोध और शमशेर के वर्चस्व के संकेतों के स्पन्दनों को महसूस किया जा सकता है। क्या आपको उनकी विचारधारा की अभिव्यक्तियों के प्रशंसक के…
आज प्रस्तुत है चित्रकार, सिरेमिक कलाकार सीरज सक्सेना से मेरी बातचीत। समकालीन कलाकारों में कला माध्यमों, रूपों को लेकर जितने प्रयोग सीरज ने किए हैं उतने शायद ही किसी कलाकार ने किए हों। कविताओं से उनका जुड़ाव मुझे विशेष रूप से आकर्षित करता है। यह बातचीत कविता और कला के रिश्तों को लेकर ही है। आप भी पढ़ सकते हैं- प्रभात रंजन ========================== 1 प्रश्न- कविता और कला के रिश्ते को आप किस तरह देखते हैं? सीरज -कविता और कला दोनों ही के साथ से मनुष्य अपनी संवेदनाओं को अपने भीतर से प्रवाहित कर दोनों माध्यमों में व्यक्त कर अन्य…
आज प्रस्तुत है गरिमा जोशी पंत की कहानी ‘अनसुनी अनुसूइया’ जिसे हाल में ही डॉ. प्रेम कुमारी नाहटा अखिल भारतीय कहानी प्रतियोगिता 2024 में पुरस्कृत किया गया है – अनुरंजनी ========================================== अनसुनी अनुसुइया नारंगी रोशनी आसमान पर छिटकी हुई थी। एक बड़ी गहरी नारंगी गेंद सा सूरज धीरे धीरे डूब रहा था। ना जाने कहां डूब जाता होगा सूरज! मैं विज्ञान जानता, समझता हूं। इस पूरी प्रक्रिया को समझता हूं लेकिन डूबता सूरज डूबता हुआ ही दिखता है। उसे डूबता देख मेरे मन में भी जैसे कुछ डूबने लगा। चाय की आखिरी चुस्की मैंने गले से नीचे उतारते हुए डूबते सूरज…
लेखिका जयंती रंगनाथन लेखन में लगातार प्रयोग करती रहती हैं। कथा-कहानी में हर बार कुछ नया रचती हैं। इस बार पुस्तक मेले में उनका कहानी संग्रह आ रहा है मिडिल क्लास मंचूरियन। राजपाल एंड संज से प्रकाशित होने वाले इस संग्रह का एक अंश पढ़िए- मॉडरेटर =============================== (संग्रह की भूमिका का एक अंश) मिडिल क्लास ज़िंदाबाद! मेरी तरह आपने भी सुना-समझा और बूझा होगा कि हम समाज के जिस वर्ग में पैदा हुए, वहाँ की दुश्वारियाँ, मजबूरियाँ, ख़ुशियाँ और महत्त्वाकांक्षाएँ लगभग एक जैसी हैं। आँकड़ों की मानें तो साल 2021 की जनगणना के मुताबिक़, हमारे देश में रहने वाले लगभग…
लेबनानी मूल की फ्रेंच फिल्मकार डेनिएल आर्बिड ने नोबेल पुरस्कार से सम्मानित फ्रेंच उपन्यासकार एनी अर्नो के उपन्यास ‘सिम्पल पैशन’ पर इसी शीर्षक से 2020 में फ़िल्म बनाई थी। इस फ़िल्म को कान, लोकार्नो, न्यूयॉर्क, सैन सेबस्टियन टोरंटो, ज़्यूरिख़, बुसान सहित कई फ़िल्म फ़ेस्टिवल में दिखाया गया था। इसे ख़ूब प्रशंसा मिली और पुरस्कार भी मिले। उनकी फ़िल्मों पर अश्लीलता के आरोप लगे और लेबनान में उनकी फिल्मों को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए घातक बताया गया। अब वे इसी माह अपनी नई फिल्म ‘लव कॉन्कर्स ऑल’ की शूटिंग शुरू कर चुकी हैं। ‘सिम्पल पैशन’ को लेकर उनसे लिए गए…
आज प्रस्तुत है जावेद आलम ख़ान की दस कविताएँ-अनुरंजनी ========================================= (1) याद हिचकी आए तो पानी पियो नानी कहती थीं पानी पीता हूं तो लकीर सी खिंच जाती है हलक में कोई कहता है किसी ने याद किया होगा याद भी कमबख्त पानी के जैसी ही निकली बेरंगी बेढंगी और बदमिज़ाज कहीं से भी आकर दिमाग के गड्ढे में उतर जाती है तुम्हें याद करते हुए कितनी बार कोशिश की पानी पर उंगलियों से नाम लिखने की लगता है अब वही पानी अपना हिसाब ले रहा है (2) वे दिन यह पिछली सदी के गुरूब होने के दिन थे…
जानकीपुल के हर्ष का विषय है कि आज हम प्रख्यात शिक्षाविद, लेखक, अनुवादक और वैज्ञानिक पद्मश्री अरविन्द गुप्ता से बाल साहित्य को लेकर की गयी बातचीत को प्रकाशित कर रहे हैँ। यह बातचीत उनसे ई-पत्रोँ के माध्यम से हुई है। ********************* प्रश्न : आपने बच्चोँ मेँ वैज्ञानिक शिक्षा के अतिरिक्त दुनिया भर के बच्चोँ के साहित्य के अनुवाद करने का अभूतपूर्व काम किया है। आपका संकलन और अनुवाद हम सभी के लिए मार्गदर्शक और प्रेरणास्रोत है। आज से तीस साल पहले तक हिन्दी मेँ बाल पत्रिकाओं का अपना स्थान था, जिनमेँ प्रमुख थे – पराग, नन्दन, चम्पक, बालभारती, बालहंस, नन्हेँ…
यह साल प्रेमचन्द के प्रसिद्ध उपन्यास रंगभूमि के ही सौ साल नहीं हो रहे बल्कि उनकी पत्नी शिवरानी देवी की पहली कहानी ‘साहस’ के भी सौ साल पूरे हो गए। उनकी यह कहानी 1924 में “चाँद” पत्रिका में छपी थी। शिवरानी जी ने करीब पचास कहानियां उस ज़माने में लिखीं। उनक़ा पहला संग्रह “नारी हृदय” खुद प्रेमचन्द ने सरस्वती प्रेस से छापा था। उनका दूसरा संग्रह 1937 में ‘कौमुदी’ नाम से आया था। ये दोनों संग्रह वर्षों से उपलब्ध नहीं थे। पिछले दिनों उनकी असंकलित कहानियों का संग्रह “पगली” आया। इन तीन संग्रहों के आधार पर कहा जा सकता है…